Dharohar Sanatan Sanskruti ki(Hindi) BY Tanvi Dhanani, Sunita Sachdeva

गर्भसंस्कार: – संस्कार, गर्भाधान से लेकर प्रसव तक के नौ महीनों के दौरान माँ द्वारा शिशु को दिए जाने वाले संस्कार, बच्चे के शेष जीवन के लिए एक प्रकाशस्तंभ समान होता है । जैसे एक किसान उपजाऊ भूमि तैयार करता है, वैसे ही बीजारोपण करके पानी, खाद और पूरी देखरेख से उचित देखभाल के साथ बहुत अच्छी फसल मिलती है। इसी प्रकार माता-पिता द्वारा गर्भावस्था के दौरान अच्छी संतान का उचित देखभाल, आहार, व्यायाम, सोच और दृढ़ संकल्प अच्छी संतान के जन्म का संकेत है । विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे एक अभिभावक, जिन्होंने अपने परिवार में गर्भसंस्कार के ज्ञान या इसे देने के इनकार को समझा, पर वह एक माँ के रूप में समर्पित रही, हमारे माध्यम से गर्भसंस्कार के ज्ञान को आत्मसात किया और पूरे समर्पण के साथ ९ महीने तक इसका उपयोग किया, एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया जो एक उत्कृष्ट माँ का उदाहरण है। गुजराती कवि/लेखक झवेरचंद मेघाणी की कविता के शब्द गूंजते हैं, “जननी नी जोड़ सखी नहीं जड़े रे लोल”। हम हमारे माता-पिता की प्रति कृतज्ञ है कि उनके उमदा संस्कारो से ही हम आज इस पुस्तक को समाज के सामने लाने के लिए प्रेरित हुए हैं । गर्भसंस्कार भारतीय प्राचीन सभ्यताओं की एक बहुत ही उपयोगी और जीवन में आसानी से शामिल की जाने वाली पद्धति है जो हज़ारों वर्षों से प्रचलित है और अब दुनियाभर में विज्ञान द्वारा स्वीकार की जा रही है ।