Na Jane Kyu ! (Hindi) BY Nagesh Kumar

बीत गई ये दिवाली भी बिन तेरे क्या बाकी की ज़िंदगी भी तेरे बग़ैर बितानी है मर गया है दिल बस जिंदा हूँ मैं अब ज़िंदगी भर ये लाश सीने में दबानी है किसी एहसास के चरम तक भर जाने के पश्चात हृदय से उत्पंन भाव-आवेगों को जब किसी के साथ साझा करने की कोशिश की जाती है तो न तो कोई उन्हें समझने का प्रयास करता है और न ही समझ पाता है तब जा के कविता जन्म लेती है| इन्हीं एहसासों और भावनाओं की यात्रा कराती यह पुस्तक ‘न जाने क्यूँ’! आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ | मुझको अब भी है याद वो तेरी शब-ए-फ़िराक़ वो तेरा टूटकर लिपटना और मेरे खाली से हाथ – नागेश कुमार (बी.टेक, एम.ए.)