Sagar ko Kuchh Kahana Hai (Hindi) BY Dr. Meera Ramnivas Varma

‘सागर को कुछ कहना है’ पुस्तक में आप पढ़ेगें मेरी जीवन यात्रा की कुछ संवेदनाएं,कुछ यादें कुछ अनुभूतियां। मन को मथती कुछ सामाजिक विसंगतियां, भौतिक विकास में शहीद हुई मानवीय संवेदनाएं,प्रकृति ,कुछ पौराणिक पात्र। साथ ही सामाजिक विषमताएं, भीख मांगते बच्चे, फुटपाथ पर गुजर बसर करते परिवार,किसान,मजदूर संघर्ष ने मुझे चिंतित किया है। प्राकृतिक सौंदर्य सूरज का उगना, चांद का चमकना, दिन,रात पेड़ ,पंछी, फूल, पत्ते, मौसमों के सुंदर रुप, ने मुझे लुभाया है। प्रकृति का निश्चल प्रेम व संदेश, माता पिता से जुड़ी बचपन की मधुर यादों ने, मां के स्वरुप की सुंदर छवियों ने मन को प्रफ्फुलित किया है, मुझे शब्द दिए हैं। ‘सागर को कुछ कहना है’ पुस्तक में मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था, प्रकृति के प्रति प्रेम, हर प्राणी के प्रति संवेदनशील व्यवहार करने एवं हमसे छूटते संस्कारों को पुनः जीने की बात कही गई है। हम अपने पूर्वजों की तरह सरल,निर्मल,प्रेम से सराबोर दिल के मालिक बनें, आस – परिवेश के प्रति संवेदनशील रहें,कृतज्ञ रहें, सबको सुखपूर्वक जीने के लिए एक सुंदर समाज की स्थापना हो बस यही है मेरी पुस्तक “सागर को कुछ कहना है” का सार। -डॉ. मीरा रामनिवास वर्मा