Description
“हँसती हूँ, खिलखिलाती हूँ, अपनी ज़िन्दगी, अपनें हिसाब से जीती हूँ || इस खुले आसमाँ के नीचें, अपने वजूद को तलाशती हूँ || अपनी तन्हाईयों और ख़ामोशियों को गीत बनाकर गुनगुनाती हूँ || देखकर प्रकृति के अनेक रंगों को, इन रंगों में रंग जाना चाहती हूँ ||” कल्पना परमार
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