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Shak (Hindi-Urdu Ghazal Sangrah) by Mahesh Sagathiya ‘Lalkar’

249.00

  • Publisher ‏ : ‎ Nexus Stories Publication® (21 September 2025)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 111 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9348504388
  • Item Weight ‏ : ‎ 140 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 21.59 x 139.7 x 0.66 cm

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Description

ठहर जाने के चंद ठिकानों में से एक राजकोट (गुजरात) निवासी शायर महेश सागठिया “ललकार” अपना पहला गजल संग्रह “शक” प्रकाशित कर रहे है जिसका बहुत बहुत स्वागत और दिलसे शुभकामनाए। अपने आपसे अपनापन रखने वाला यह शायर व्यावहारिक जगत के कड़वे मीठे अनुभवों से गुजरा है इसलिए खुद को सावधान रख सकता है और कहता है। “सांप बनके सपेरोंकी बस्ती में यूं आया न करो। नेवलों का पहेरा है अपनी फन यूं लहराया न करो।” भागती दौड़ती दुनिया में हर कोई चाहता है की कहीं पर सुकून मिले, दोस्तों का प्यार मिले, दुनियादारी पे भरोसा हो, लेकिन ऐसा शायद ही होता है। इस बात का इशारा इस शेर में देखने को मिलता है। “वक्तने हमें कहाँ कहाँ भगाया रकीब, हमें ठहर जाने के चंद ठिकाने मिले।” अपनी गहन और सकारात्मक सोच जिंदगी के हर मोड पर समाधान करवाती है। यह शेर इसका सबूत है। “भरी महफ़िल से उठने का तू ने इशारा जो कर दिया, जलील कर दिया मगर बा इज्जत बारी जो कर दिया।” “ललकार” ने बहुत बार खुद को भी ललकारा है ऐसा भी महसूस होता है। यह इसका प्रथम गजल संग्रह है। गजल की परिभाषा के अनुसार कहीं कोई चूक रह गई हो तो हम उन्हें बाइज्जत बारी कर देंगे। इसमें कोक शक नहीं। वारिज लुहार (कवि_लेखक)

Additional information

Weight 0.1 kg
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.8 in

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